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BHAGAT KE VASH MEIN HAI BHAGWAN BHAJAN LYRICS

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 भगत के वश में है भगवान भजन लिरिक्स इन हिन्दी  भगत के वश में है भगवान, भक्त बिना ये कुछ भी नहीं है। भक्त है इसकी जान, भगत के वश में है भगवान। भक्त मुरली वाले की, रोज वृन्दावन डोले। कृष्ण को लल्ला समझे, कृष्ण को लल्ला बोले। श्याम के प्यार में पागल, हुए वो श्याम दीवानी। अगर भजनो में लागे, छोड़ दे दाना पानी। प्यार करण लागी इससे, अपने पुत्र समान। भगत के वश में है भगवान। वो अपने कृष्ण लला को, कलेजे लगा कर रखे। हमेशा सजा कर रखे, के लाड लड़ा कर रखे। वो दिन में भाग के देखे, के रात में जाग के देखे। कभी अपने कमरे से, श्याम को जाक के देखे। अपनी जान से ज्यादा रखती, अपने लला का ध्यान। भगत के वश में है भगवान  वो लल्ला लल्ला पुकारे, हाय क्या जुल्म हुआ रे। बुढ़ापा बिगड़ गया जी, लाल मेरा कैसे गिरा रे। जाओ डॉक्टर को लाओ, लाल का हाल दिखाओ। अगर इसको कुछ हो गया, मुझे भी मार गिराओ। रोते रोते पागल हो गई, घर वाले परेशान। भगत के वश में है भगवान। बना पीतल से मैया, ये तेरा श्याम सलोना। पड़ा बेजान है ये, जैसे मिठ्ठी का खिलौना। सारी दुनिया में ढूंढो, बेहेम की दवा नहीं है। चोट पीतल को आये, ऐसा तो हुआ नहीं ...

NEW YEAR QUOTES IN HINDI

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हैप्पी न्यू ईयर 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं  नया साल आप सब के लिए खुशियों भरा हो और ईश्वर आपके सब सपने पूरे करें।  मां दुर्गा की कृपा से नववर्ष 2025 आप सबके लिए मंगलमय हो। श्री कृष्ण कृपा से आपका नववर्ष मंगलमय हो । Krishna quotes in Hindi   विध्न हर्ता गणेश जी की कृपा से नया साल मंगलमय हो। नववर्ष 2025 की शुभकामनाएं। श्री हरि विष्णु की कृपा सदैव आप पर बरसती रहे। नववर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं। श्री हनुमान जी की कृपा से नववर्ष आपके लिए सुखमय हो।

KRISHNA KRIPA HO TABI BHAJAN LYRICS IN HINDI

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कृष्ण कृपा हो तभी कृष्ण का नाम ले सकोगे भजन लिरिक्स इन हिन्दी  कृष्ण कृपा हो तभी कृष्ण का नाम ले सकोगे माधव रॉक बैंड का बहुत ही सुन्दर भजन है। कृष्ण कृपा क्या है इसका बहुत ही सुंदर वर्णन इस भजन में किया गया है।  कृष्ण कृपा हो तभी कृष्ण का नाम ले सकोगे। कृष्ण कृपा हो तभी कृष्ण का नाम ले सकोगे.. कृष्ण कृपा हो तभी कृष्ण का नाम ले सकोगे.. अगर कृष्ण का नाम ले सको,  हरि का नाम ले सको  तो समझो कृष्ण कृपा है। कृष्ण कृपा हो तभी कृष्ण का नाम ले सकोगे कृष्ण कृपा हो तभी कृष्ण का नाम ले सकोगे। जग के भोगी क्या जाने, क्या जाने,  क्या है असली कृपा क्या जाने, क्या है असली कृपा  क्या जाने, क्या है असली कृपा  दुनिया की जगमग जगमग में ही  उनका सारा ध्यान टिका उनका सारा ध्यान टिका  उनका सारा ध्यान टिका  हो दुनिया की जगमग जगमग में ही  उनका सारा ध्यान टिका उनका सारा ध्यान टिका उनका सारा ध्यान टिका ये जगमग दुनिया की साथ लेकर ना जा सकोगे  ये जगमग दुनिया की साथ लेकर ना जा सकोगे  जो संग यहां से जाएगा  जो आगे काम आएगा  वो तो बस कृष्ण कृपा कृ...

KARWA CHAUTH GEET LE VEROO KUDIYE KARWADA

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करवा चौथ के दिन थाली बटाते गाया जाने वाला गीत लै वीरो कुड़िये करवड़ा करवा चौथ व्रत का हिन्दू सनातन धर्म में विशेष महत्व है। यह व्रत सुहानिग स्त्रियां अपने पति की दीर्घ आयु की कामना से रखती है। करवा चौथ व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता हैं। करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की दीर्घायु के निर्जला व्रत रखती है। शाम को कथा सुनकर करवडा बटाती है। पढ़ें थाली बटाते समय बोला जाने वाला गीत -  लै वीरो कुड़िये करवड़ा,  लै सर्व सुहागन करवड़ा  लै करवड़ा वटाइये, जीवंदा झोली पाइये  ऐ कत्ती ना अटेरीं ना,  घुम्म चरखड़ा फेरीं ना  वान पैर पाईं ना, सुई च धागा पाईं ना  रुठड़ा मनाईं ना,  सुतड़ा जगाईं ना भैन प्यारी वीरां,  चन्न चढ़े ते पानी पीना  लै वीरो कुड़िये करवड़ा, लै सर्व सुहागन करवड़ा । थाली बटाते समय सातवीं बार बोला जाता है कि - लै वीरो कुड़िये करवड़ा,  लै सर्व सुहागन करवड़ा  लै करवड़ा वटाइये, जीवंदा झोली पाइये  कत्त लई अटेर लई घुम्म चरखड़ा फेरीं लई वान पैर पाईं लई, सुई च धागा पा लई  रुठड़ा मना लई,...

RAMCHARITMANAS AYODHYA KAND 8 CHAUPAI

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रामचरितमानस अयोध्या काण्ड 8 चौपाई  दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। चौपाई 1 जब तें रामु ब्याहि घर आए।  नित नव मंगल मोद बधाए।।  भुवन चारिदस भूधर भारी।  सुकृत मेघ बरषहि सुख बारी।। चौपाई 2 रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई।  उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई।।  मनिगन पुर नर नारि सुजाती।  सुचि अमोल सुंदर सब भाँती।। चौपाई 3 कहि न जाइ कछु नगर बिभूती।  जनु एतनिअ बिरंचि करतूती।।  सब बिधि सब पुर लोग सुखारी।  रामचंद मुख चंदु निहारी।। चौपाई 4 मुदित मातु सब सखीं सहेली।  फलित बिलोकि मनोरथ बेली।।  राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ।  प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ।। चौपाई 5 एक समय सब सहित समाजा।  राजसभां रघुराजु बिराजा।।  सकल सुकृत मूरति नरनाहू। राम सुजसु सुनि अतिहि उछाहू।। चौपाई 6 नृप सब रहहिं कृपा अभिलाषें।  लोकप करहिं प्रीति रुख राखें।।  वन तीनि काल जग माहीं।  भूरिभाग दसरथ सम नाहीं।। चौपाई 7 मंगलमूल रामु सुत जासू।  जो कछु कहिअ थोर सबु तासू।।  रायँ सुभायँ मुकुरु कर लीन्हा।...