SHRI RADHA KRISHNA AUR NARAD JI KI KATHA

 Radhe Krishna :श्री  राधा कृष्ण और नारद जी की कहानी


एक बार नारद मुनि ने पृथ्वी लोक पर राधा नाम की महिमा सुनी और सुना कि वह श्री कृष्ण की सबसे बड़ी भक्त है. नारद जी को लगता था कि वह श्री हरि के सबसे बड़े भक्त है. 

 अपने मन की शंका का निवारण करने के लिए नारद जी श्री कृष्ण के पास गए . श्री कृष्ण तो अंतर्यामी समझ गए कि नारद जी के मन में क्या शंका चल रही है? श्री कृष्ण ने सोचा नारद जी को राधा रानी के प्रेम और भक्ति का अनुभव करवाना ही पड़ेगा .

जब नारद जी श्री कृष्ण के पास आए तो श्री कृष्ण अपना सिर पकड़ कर बैठे थे . नारद जी ने श्री कृष्ण से पूछा कि, "प्रभु आपको क्या हुआ है"? श्री कृष्ण कहने लगे कि नारद जी ,"मेरे सर में बहुत दर्द है" . नारद जी ने पूछा कि ,"प्रभु आपकी इस दर्द का निवारण कैसे होगा".

श्री कृष्ण कहा कि, "अगर कोई मेरा सच्चा भक्त अपने चरणों को धोकर उसका चरणामृत मुझे पिलाए तो मेरा सिर दर्द ठीक हो जाएगा". नारद जी सोचने लगे कि मैं श्रीहरि का सबसे सच्चा भक्त हूँ. लेकिन श्री कृष्ण को अपने चरणों का चरणामृत पिलाने से मुझे नरक तुल्य पाप लगेगा.  इस लिए ऐसा पाप मैं अपने सिर पर नहीं ले सकता. 

नारद जी ने रुक्मणी जी से और बाकी रानियों से इस समस्या को सुनाया लेकिन कोई भी इस पाप को अपने सर पर लेने को तैयार ना हुआ. नारद जी को राधा रानी की याद आई कि वह भी तो श्री कृष्ण की सच्ची भक्त है.  

 नारद जी ने जाकर सारा प्रसंग राधा रानी को सुनाया. राधा रानी ने उसी समय एक बर्तन में जल लेकर अपने चरणों  को धो कर वह जल नारद जी को दिया और कहा कि जल्दी से  जाकर इसे श्री कृष्ण  को दे दो . 

राधा रानी नारदजी कहने लगी, मैं जानती हूं कि है इस  बात के लिए मुझे नर्क तुल्य पाप  लगेगा". राधा रानी आगे नारद जी कहा कि , "श्री कृष्ण के दर्द के निवारण के लिए मैं कोई भी पाप अपने सिर पर लेने को तैयार हूं". 

नारद जी श्री कृष्ण के पास गए तो श्री कृष्ण मंद - मंद मुसकुरा रहे थे.  अब तक नारद जी समझ गए कि राधा रानी श्री कृष्ण से निश्चल प्रेम करती हैं और उनकी सबसे बड़ी भक्त है और श्री कृष्ण ने यह सारी लीला मुझे यह अहसास कराने के लिए रची है.

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