BANKE BIHARI MANDIR BASANT PANCHAMI MAHOTSAV

बांके बिहारी मंदिर बसंत पंचमी के दिन आरंभ होता है 40 दिवसीय फाग महोत्सव 

श्री बांके बिहारी मंदिर में माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत महोत्सव मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन से लेकर 40 दिन तक यह महोत्सव चलता है। 


बृज धाम में बसंत पंचमी के दिन से ही मंदिरों में होली खेलने की शुरुआत हो जाती है। बांके बिहारी जी को बसंती पोशाक धारण कराई जाती है। बसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी जी कमर में फेंटा बांधकर भक्तों के साथ होली खेलेंते है।

बांके बिहारी मंदिर में शृंगार आरती के बाद बांके बिहारी जी को गुलाल का टीका लगाकर होली की विधि शुरुआत की जाती है। उसके पश्चात मंदिर प्रांगण में उपस्थित श्रद्धालुओं पर बसंती गुलाल उड़ेला जाता है। इस उड़ते हुए गुलाल को अपने आराध्य देव के प्रसाद के दौर में समझते हैं । 

  पूरे मंदिर प्रांगण को पीले गुब्बारों से सजाया जाता है। लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से बांके बिहारी जी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
मंदिर में अबीर गुलाल के बादल छा जाते हैं। बसंत पंचमी से मंदिर में होली गायन के साथ ही बृज  में 40 दिवसीय फाग महोत्सव की शुरुआत हो जाती है। 

 वसंत पंचमी का दिन ब्रजभूमि के लिए खास है इस दिन माता सरस्वती के साथ श्री राधा -कृष्ण की पूजा भी की जाती है । राधा कृष्ण के प्रेम स्वरूप खेली जाने वाली होली की धूम बरसाना, नंदगांव, मथुरा, वृंदावन सहित सभी मंदिरों में होती है।
बसंत पंचमी के दिन होली महापर्व की शुरुआत होती हैं।

होली के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु वृद्धि में आगमन शुरू हो जाता है। 





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