GOVARDHAN PUJA MANTRA AARTI LYRICS

Govardhan Puja मंत्र आरती  

गोधन संवर्धन एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक पावन पर्व 'गोवर्धन पूजा' की हार्दिक शुभकामनाएं।

यह पर्व आप सभी के जीवन को ढेर सारी खुशियों और धनधान्य से परिपूर्ण करें।
गोवर्धन पूजा 2023 गोवर्धन पूजा आरती मंत्र लिरिक्स

Govardhan puja Mantra

गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।। 

भावार्थ-हे गोवर्धन को धारण करने वाले, रक्षा करने वाले भगवान विष्णु को शत् शत् नमन। 

गोवर्धन पूजा अन्नकूट पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है।

गोवर्धन पूजा श्री कृष्ण ने द्वापर शुरू की थी। इस दिन घरों और मंदिरों में गोबर से गोवर्धन की आकृति बना कर पूजन किया जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र देव का अहंकार तोड़ने के लिए और वृन्दावन वासियों को बारिश से बचाने के लिए पर्वत अपनी उंगली पर उठा लिया था। गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत, श्री कृष्ण और गाय की पूजा की जाती है और भगवान को भोग लगाया जाता है। 

Govardhan  puja Mantra

गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।

विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।। 

भावार्थ-हे गोवर्धन को धारण करने वाले, रक्षा करने वाले भगवान विष्णु को शत् शत् नमन। 

GOVARDHAN MAHARAJ KI AARTI 

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,

तोपे चढ़े दूध की धार।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरी सात कोस की परिकम्मा,

और चकलेश्वर विश्राम

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,

ठोड़ी पे हीरा लाल।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,

तेरी झाँकी बनी विशाल।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।

करो भक्त का बेड़ा पार

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। 

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गोवर्धन पूजा की कथा 

भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाएं

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